एसजीआरसी का करना होगा गठन
इसमें छात्रों से जुड़ी ऐसी शिकायतों के निराकरण के लिए प्रत्येक संस्थान को अब अपने एक सख्त तंत्र तैयार करना होगा। जिसमें उन्हें छात्र शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) का गठन करना होगा। साथ ही लोकपाल भी नियुक्त करना होगा, जो समिति के काम पर नजर रखेगा।
छात्रों से ज्यादा फीस वसूलना तय नियमों के खिलाफ प्रवेश देना या फिर फीस लौटाने में किसी तरह की आनाकानी करने जैसी शिकायतें अब विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को भारी पड़ेगा।
छात्रों की ओर से विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर बढ़ शिकायतों के बाद UGC ने यह कदम उठाया है। जिसमें छात्रों से जुडी शिकायतों का निराकरण न करने पर संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकेगी। जिसमें उन्हें दी जाने वाली किसी भी तरह की वित्तीय मदद रोकने सहित आनलाइन या दूरस्थ कोर्सों के संचालन पर भी रोक लगाने जैसे कदम उठाए जा सकेंगे।
महाविद्यालयों के मामले में उनकी विश्वविद्यालयों से संबद्धता को भी वापस लिया जा सकेगा। यदि राज्य विश्वविद्यालय है, तो जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार को उस संबंध में जरूरी कार्रवाई करने की सिफारिश भी की जाएगी। फिलहाल यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों को इस बदलाव को तीन दिन के भीतर अमल में लाने के निर्देश दिए है। यूजीसी ने इस संबंध में नोटीफिकेशन भी जारी कर दिया गया है।
UGC ने अपने रेगुलेशन में बड़ा बदलाव किया
UGC ने अपने रेगुलेशन में किया बदलाव
माना जा रहा है कि यूजीसी ने कदम देश भर से उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों से की जा रही वसूली, फर्जी कोर्सों को संचालित करने, प्रवेश में तय नियमों में भी छेड़छाड़ करने और बच्चों पर जबरिया दाखिले का दबाव बनाने के लिए उनके प्रमाण पत्रों को जमा कराने, प्रवेश रद कराने के बाद फीस वापस न करने के तहत उठाया है। वहीं, नए रेगुलेशन के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों को किसी भी नए कोर्स को शुरू करने जानकारी बेवसाइट पर 60 दिन पहले ही जारी करनी होगी। साथ ही उस कोर्स की फीस, पाठ्यक्रम की अवधि आदि का भी पूरा ब्यौरा देना होगा।
समितियों का कैसा रहेगा स्वरूप और लोकपाल के पास कब पहुंचेगा मामला?
यूजीसी ने नए रेगुलेशन के तहत प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान को अपने यहां एक छात्र शिकायत निवारण समिति का गठन करना होगा। जिसमें अध्यक्ष सहित छह सदस्य होंगे। संस्थान का कोई वरिष्ठ प्रोफेसर ही अध्यक्ष होगा, जबकि चार अन्य प्रोफेसर या वरिष्ठ शिक्षक इसके सदस्य होंगे। छात्रों का भी एक प्रतिनिधि इस समिति में रहेगा। जिसका चयन शैक्षिक योग्यता, खेलकूद आदि गतिविधियों में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल दो साल के लिए होगा, जबकि विशेष आमंत्रित सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष के लिए होगा। किसी भी शिकायत को समिति को पंद्रह दिनों के अंदर निपटाना होगा। साथ ही यह अपने लिए गए निर्णय और सिफारिशों से सक्षम अधिकारियों को अवगत कराएगी। इसकी एक प्रति शिकायतकर्ता छात्र को भी देनी होगी।