केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को मंजूरी दी


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा शासित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय विद्वानों के शोध, लेखों और पत्रिका प्रकाशनों के अध्ययन का लाभ मिलेगा। 

इससे विश्व प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाएं और शोध के अध्ययन के लिए सब्सक्रिप्शन लिया जाएगा, साथ ही इसे देश के सभी प्रमुख शिक्षण संस्थानों को उपलब्ध कराया जाएगा। 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए कहा कि इस पहल से लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और सभी विषयों के वैज्ञानिकों के लिए विद्वानों की पत्रिकाओं को पढ़ने का मौका मिलेगा। इसमें टियर 2 और टियर 3 शहरों के लोग भी शामिल हैं। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन में कुल 30 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जर्नल प्रकाशकों को शामिल किया गया है। इन प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित लगभग 13,000 ई-जर्नल अब 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के लिए सुलभ होंगे। 

उन्होंने कहा कि पत्रिकाओं के अध्ययन के लिए एक सब्सक्रिप्शन लिया जाएगा. इसका समन्वय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से किया जाएगा। ये पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से होगा। 

एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में 3 कैलेंडर वर्षों, 2025, 2026 और 2027 के लिए वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन के लिए कुल लगभग 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वैष्णव ने बताया कि वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन, सरकारी संस्थानों में सभी छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए शोध करना आसान बनाकर वैश्विक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में भारत को स्थापित करने की दिशा में एक समय पर उठाया गया कदम है। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस सूची में 6,300 से अधिक संस्थान शामिल हैं। इनमें लगभग 1.8 करोड़ छात्र, संकाय और शोधकर्ता शामिल हैं। ये संभावित रूप से वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन का लाभ उठा सकेंगे। 

यह विकसित भारत 2047, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के लक्ष्यों के अनुरूप है। इस पहल से टियर 2 और टियर 3 शहरों सहित सभी विषयों के छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के विशाल प्रवासी समुदाय को विद्वानों की पत्रिकाओं तक पहुंच का विस्तार होगा। वैष्णव ने कहा कि एएनआरएफ समय-समय पर वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन के उपयोग और इन संस्थानों के भारतीय लेखकों के प्रकाशनों की समीक्षा करेगा।

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