दोयम दर्ज़े के शिक्षण संस्थानों में आजकल पढ़ाई से ज्यादा इवेंट और उन इवेंट का सोशल नेटवर्किंग के द्वारा अपना प्रचार एवं प्रसार को अधिक महत्व दिया जा रहा है


दोयम दर्ज़े के शिक्षण संस्थानों में आजकल पढ़ाई से ज्यादा इवेंट और उन इवेंट का सोशल नेटवर्किंग के द्वारा अपना प्रचार एवं प्रसार को अधिक महत्व दिया जा रहा है।

आज शिक्षा एक कोरा व्यवसाय बन गया है, शिक्षण संस्थानों के मालिक अधिक से अधिक मुनाफा चाहते हैं। 
सबसे बड़ी समस्या तो तब हो जाती है जब UGC, AICTE, BCI, MCI, NAAC जैसी संस्थाएँ भी इनके आगे नतमस्तक हो जाती है, ईन संस्थाओ से जब टीम विजिट के लिए आती है तो वह मूलभूत सुविधाएं का मूल्यांकन करना भूल जाती है, स्टाफ को क्या सुविधाए दी जा रही है है इनसे उनका कोई सरोकार नहीं होता है, खास तौर पर लोअर स्टाफ एवं तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का वो किस वेतनमान पर कार्य कर रहे हैं उनको अन्य क्या सुविधाएं दी जा रही है। 

कयी ऐसे शिक्षण संस्थान है जो ESI और PF जैसी मूल भूत सुविधाओं से कर्मचारियों को वंचित रखती हैं, आखिर कैसे वो संस्थान इनसे मान्यता प्राप्त कर लेते हैं। 

जबकि ये संस्थान नवीनतम वेतनमान के आधर पर बच्चों से फीस वसूलते हैं। 

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