अधिकतर प्राइवेट कॉलेजेस इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी में क्वालिटी की बजाए क्वांटिटी पर क्यों ध्यान दिया जा रहा है?

अधिकतर प्राइवेट संस्थानों का मुख्य उद्देश्य केवल पैसा कमाना होता जा रहा है यह शिक्षा एवं शिक्षा व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है आज क्वालिटी की वजह क्वांटिटी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है छोटे- छोटे से इंस्टिट्यूट जो छोटे से एरिया में बने हैं आज ज्यादा से ज्यादा इनटेक लेने में इंटरेस्टेड होते हैं उनका ध्यान क्वालिटी की तरफ बिल्कुल भी नहीं है जो किसी तरह एफिलेटेड यूनिवर्सिटी से अपना अटैक पास करा लेते हैं.

क्या इस तरह की शिक्षा व्यवस्था बच्चे का संपूर्ण विकास कर सकती है क्या वह बच्चा आगे जाकर अपने फील्ड में सफल हो सकता है क्या वह एक अच्छी नौकरी या एक अच्छा व्यवसाय करता है यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है हमारी शिक्षा व्यवस्था में आज एक व्यवसाय में बदलती जा रही यह एक सरलतम व्यवसाय हो गया जिसमें आयकर बड़ी मात्रा में चोट होता है इसलिए अधिकतर व्यवसाई आज शिक्षा के माध्यम से अपना व्यवसाय चला रहे हैं.

अधिकतर प्राइवेट संस्थान जो किसी भी प्रकार का पे स्केल नहीं देते एक लामसम सैलरी देते हैं जिन का मुख्य उद्देश्य केवल अत्यधिक लाभ कमाना है ना ही कर्मचारियों को पीएफ ग्रेजुएट या अन्य किसी प्रकार के मेडिकल व्यवस्था दी जा रही है यह एक बहुत बड़ी समस्या है.

शिक्षा व्यवस्था भलाई के लिए हमें इस पर समय रहते सोचना चाहिए कहीं अत्यधिक देर ना हो जाए.

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने किसी देश शिक्षा पर अत्यधिक जोर दिया था और एक टीचर होने के नाते उन्होंने अपना जन्मदिन एक शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था पर आज से व्यवस्था में शिक्षकों एवं कर्मचारियों के साथ इस तरह का भेदभाव को नेम दुर्गा भाव पूर्ण व्यवहार संस्थान मालिकों द्वारा किया जाता है वह अत्यधिक दुखदाई है.

कोरोना काल में दिल्ली एनसीआर के अधिकतर प्राइवेट संस्थानों ने अपने एंपलॉयर्स को या तो सैलरी दी ही नहीं या बहुत कम मात्रा में कुछ एक में आधी सैलरी ही दी इसमें कुछ ही संस्थान है जिन्होंने इस मुश्किल समय में अपने कर्मचारियों का ख्याल रख अब भी अधिकतर संस्थान जो ऑनलाइन मोड में चल रही जिसमें काफी कम मात्रा में शिक्षक रखे गए हैं या तो आधी सैलरी दे रही हैं या फिर उनको अल्टरनेट डे पर बुलाया जा रहा है, जबकि संस्थान विद्यार्थियों से कुरौना काल के दौरान से लेकर अब तक पूरी फीस वसूल रहे हैं दिल्ली के स्कूलों हाई कोर्ट के फैसले के बाद एरिया सहित पीस लेना चालू कर दिया यही हाल प्राइवेट कॉलेजेस का भी है जो बच्चों से तो पूरी फीस वसूल रहे हैं पर वह अपने स्टाफ कर्मचारियों टीचर्स को वेतन देना नहीं जा रही बहाना सिर्फ एक ही है कोरोना.

प्राइवेट शिक्षा पद्धति में व्यवसायियों का आना बहुत ही सुखद कुछ एक व्यवसाई है जो रिसर्च आदि को बढ़ावा दे रहे हैं अन्यथा अधिकतर संस्थानों का अब एक ही उद्देश्य है व्यापार.

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